Welcome To Working Journalists of India
About WJI (Working Journalists of India)
WORKING JOURNALISTS OF INDIA (WJI) is a journalist’s union registered under Trade Union Act on all-India basis with reach up to district and rural levels. It is the first journalist’s union affiliated with the Bhartiya Mazdoor Sangh which is the second biggest worker’s union in the entire world.
The Bhartiya Mazdoor Sangh Will always stand with us shoulder-to-shoulder in all our struggles for the rights of journalists everywhere in India. The WJI along with the Bhartiya Mazdoor Sangh will always besides journalists’ interests, work for national interests.
WJI Digital Media Directory
अगर आप दिल्ली , नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम के पत्रकार है, और आप चाहते है कि 26 अप्रैल को लांच हो रही WJI DELHI NCR DIGITAL MEDIA DIRECTORY ,www.wjidigitalmediadirectory.com में आपकी भी डिटेल शामिल हो, तो सिर्फ 2 मिनट का समय निकालकर ये ऑनलाइन फॉर्म भरे । देश मे पहली बार अति आधुनिक मीडिया डायरेक्टरी, जिसके जरिये, सिर्फ एक क्लिक या Voice Search के जरिये, विश्व के किसी भी कोने से लोग आपकी जानकारी ले सकेंगे । वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया की दिल्ली यूनिट द्वारा तैयार की जा रही देश की पहली डिजिटल मीडिया डायरेक्टरी की लॉन्चिंग की तैयारी ।
अति आधुनिक संचार तकनीको से तैयार हो रही डिजिटल मीडिया डायरेक्टरी में, दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग़ज़िआबाद, फरीदाबाद, व गुरुग्राम के मीडियाकर्मियों की जानकारी ।
देश के पत्रकारों का शीर्ष संगठन, वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया, सम्बद्ध भारतीय मजदूर संघ, मीडियाकर्मियों के लिये , सत्ता के गलियारों से लेकर सड़को पर उतरने वाली यूनियन , अब कुछ नया करने जा रही है। हमारी यूनियन की दिल्ली यूनिट , इन दिनों , दिल्ली एनसीआर के मीडियाकर्मियों के पहली डिजिटल मीडिया डायरेक्टरी की लॉन्चिंग की तैयारी कर रही है। दिल्ली एनसीआर , विश्व का सबसे बड़ा मीडिया हब है । यहां पर प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया, फ़ोटो जॉर्नलिस्ट्स, वीडियो जॉर्नलिस्ट्स, फ्रीलांसर्स, ब्रॉडकास्टर्स, कंटेंट राइटर, स्ट्रिंगर कार्यरत है । अगर बीट की बात करे तो कोई दिल्ली पुलिस, कोई दिल्ली सरकार, 3 दिल्ली नगर निगम, केंद्र सरकार से जुड़े विभिन्न मंत्रालय, विभिन्न पब्लिक सेक्टर, बिज़नेस, खेल, मनोरंजन, फैशन, नाटक व रंगमंच आदि है । दिनभर पत्रकार अपने मीडिया से जुड़े कार्यो में व्यस्त रहते है । एक तरह से कहा जाए कि दिल्ली एनसीआर में हज़ारों पत्रकार है, जिनकी जानकारी , हमे नही लगता कि कोई भी ऐसी एजेंसी होगी, जिसके पास इतनी सम्पूर्ण जानकारी होगी। हमारी यूनियन संचार के अति आधुनिक माध्यमो का इस्तेमाल करके दिल्ली एनसीआर डिजिटल मीडिया डायरेक्टरी तैयार कर रही है। आपके पास मोबाइल है या लैपटॉप, आप तत्काल यहां के किसी भी मीडियाकर्मी की जानकारी व उसकी बीट की जानकारी प्राप्त कर सकते है। मीडिया डायरेक्टरी के लिये तैयार हो रहे पोर्टल में वॉइस सर्च की भी सुविधा है। हमारा मानना है कि ये डिजिटल मीडिया डायरेक्टरी आम लोगो के लिये भी एक बेहतर सूचना तंत्र साबित होगी। इसमे मीडियाकर्मियों के अलावा मीडिया संस्थानों की भी जानकारी होगी ।
We are more than just USERS, we are the reason the tools exist – we are the people who communicate our thoughts and ideas near and far. Join us and let’s shape the future together!
WJI JOURNALIST HELPLINE
Why Join Working Journalists of India
“Union!” “Journalists union!” “Me — a member!” “Why should I?” “I don’t need a union. I can make my career myself.”
This is the oft-heard reaction when a working journalist is approached to join a union. What these youthful journalists don’t realize or decide to ignore in their bravado is that newspaper work is a teamwork. No one can claim single-handedly the credit for producing any day’s newspaper anywhere. It can, therefore, be justifiably said that no one can build a career for himself alone if all others in the editorial don’t stand with him shoulder-to-shoulder and look after, what in journalistic parlance is called, each other’s child i.e. the page being made by individual members of the editorial board or the story being written by a reporter.
This is nothing new. It is in fact the ancient Greek art of warfare wherein every soldier was trained not only to face and fight the enemy in his front but also to remain alert all the time and defend the fellow soldiers on his left and right both. This is why it is a common sight in every editorial everywhere persons getting up from their seats now and then and walking up to others’ and asking `what is the progress’ and ‘whether he needs help’.